मुक्तक
१.
दिल मेरा दिल से बफादार था
थोड़ा दूसरों के दुखों से बेज़ार था
कश्मकश में जो कट रही थी जिंदगी
बस इस लिए ख़ुद से ख़ुद का गद्दार था।
…पुर्दिल
२.
हर बात आँखे मिला कर कही नही जाती
कुछ रुह से रुह को भी महसूसना होता है !
…पुर्दिल
१.
दिल मेरा दिल से बफादार था
थोड़ा दूसरों के दुखों से बेज़ार था
कश्मकश में जो कट रही थी जिंदगी
बस इस लिए ख़ुद से ख़ुद का गद्दार था।
…पुर्दिल
२.
हर बात आँखे मिला कर कही नही जाती
कुछ रुह से रुह को भी महसूसना होता है !
…पुर्दिल