मुक्तक
१.
तूने पलट कर एक नजर देखा ही नही, बैठी थी मैं किस आस में
तू गुजर गया हवा बन कर, अब दिल मेरा खौफ़ के आगोश में है !
…पुर्दिल
.२
तेरी दिए हर जख्म को सीने से लगाया हमने
तेरी गलती नही
ये अलग बात गलतल जगह ही दिल लगाया हमने
…पुर्दिल
१.
तूने पलट कर एक नजर देखा ही नही, बैठी थी मैं किस आस में
तू गुजर गया हवा बन कर, अब दिल मेरा खौफ़ के आगोश में है !
…पुर्दिल
.२
तेरी दिए हर जख्म को सीने से लगाया हमने
तेरी गलती नही
ये अलग बात गलतल जगह ही दिल लगाया हमने
…पुर्दिल