मुक्तक
१.
अपने कई ताज़ा जख़्म खुला छोड़ रखा है मैंने
नमक के सौदागर हो तो मल जाओ जख़्मों पे
…सिद्धार्थ
***२.
था भरा उपवन सारा रंग बिरंगी फूलों से
मैंने था तुम को चुना …
कि रख लूं हिय में छुपा कर तुमको इन शूलों से !
…सिद्धार्थ
***३.
हमारा राब्ता आप से, हरगिज़ न टूटेगा
हम मिट गए फिर भी ये साथ न छूटेगा !
…सिद्धार्थ