मुक्तक
१.
तुम गलतियाँ करते रहो हम सुधार देंगे
मुहब्बत है तुम से, कैसे तुम्हें उजाड़ देंगे।
२.
हमने तो मुहब्बत को अलफाज बना कर जज्बात अपने बिखेरे थे
कहाँ पता था दोस्तों से मिलकर वो जज्बातों के बखिया उधेड़ेंगे ।
३.
अपने ज़ज्बातों को कलम से कहां तक अंजाम दूँ
लिख दूँ उस का नाम या संगदिल सनम नाम दूँ !
४.
जो किसी की कही अनकही सुनता ही नही
वो कैसे समझलेता दुख मेरे दरबदर होने का !
***
…सिद्धार्थ