मुक्तक
होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ?
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ!
खौफ होता है यादों का इसकदर,
जाँम की महफिल में नजर आता हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं'(20)
होते ही शाम मैं किधर जाता हूँ?
जुदा ख्यालों से मैं बिखर जाता हूँ!
खौफ होता है यादों का इसकदर,
जाँम की महफिल में नजर आता हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं'(20)