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8 Jul 2019 · 1 min read

मुक्तक

मैं सोचता हूँ आज़ तुमसे मुलाक़ात कर लूँ।
मैं तेरी ज़ुल्फ़ों के तले अपनी रात कर लूँ।
तुम तेज़ कर लो आज़ फ़िर से तीरे-नज़रों को-
मैं ज़ख़्मों को सह लेने की करामात कर लूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
313 Views
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