मुक्तक
मैं सोचता हूँ आज़ तुमसे मुलाक़ात कर लूँ।
मैं तेरी ज़ुल्फ़ों के तले अपनी रात कर लूँ।
तुम तेज़ कर लो आज़ फ़िर से तीरे-नज़रों को-
मैं ज़ख़्मों को सह लेने की करामात कर लूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मैं सोचता हूँ आज़ तुमसे मुलाक़ात कर लूँ।
मैं तेरी ज़ुल्फ़ों के तले अपनी रात कर लूँ।
तुम तेज़ कर लो आज़ फ़िर से तीरे-नज़रों को-
मैं ज़ख़्मों को सह लेने की करामात कर लूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय