मुक्तक
यहाँ की माट में खेला बडे मैं भाग वाला हूँ,
यहाँ का अन्न भी खाया उसी का ही मैं पाला हूँ।
ऋणी हूँ मै अपने भारत वतन की पावन माटी का,
अगर जां भी कहे दे दूँ न पीछे हटने वाला हूँ।।
अशोक छाबडा
गुरूग्राम
यहाँ की माट में खेला बडे मैं भाग वाला हूँ,
यहाँ का अन्न भी खाया उसी का ही मैं पाला हूँ।
ऋणी हूँ मै अपने भारत वतन की पावन माटी का,
अगर जां भी कहे दे दूँ न पीछे हटने वाला हूँ।।
अशोक छाबडा
गुरूग्राम