मुक्तक
वाणी तेरी और शब्द भी और कलम भी माँ तेरी,
हो सब मेरी सफल साधना विनय शारदा माँ मेरी।
माँ तेरी पहचान बनूँ मैं तेरी जय जयकार करूँ,
पूरी इच्छा ये ‘अशोक’ की माँ कर दो ना हो देरी।।
अशोक छाबडा
गुरूग्राम
वाणी तेरी और शब्द भी और कलम भी माँ तेरी,
हो सब मेरी सफल साधना विनय शारदा माँ मेरी।
माँ तेरी पहचान बनूँ मैं तेरी जय जयकार करूँ,
पूरी इच्छा ये ‘अशोक’ की माँ कर दो ना हो देरी।।
अशोक छाबडा
गुरूग्राम