मुक्तक
सिर्फ खुशियों के सहारे ज़िंदगी कटती नहीं
आसमां पर फूंकने से बदलियाँ छंटती नहीं
झूठ के बल पर कोई चेहरा बगावत क्या करे
आईने की सादगी से झूठ की पटती नहीं
सिर्फ खुशियों के सहारे ज़िंदगी कटती नहीं
आसमां पर फूंकने से बदलियाँ छंटती नहीं
झूठ के बल पर कोई चेहरा बगावत क्या करे
आईने की सादगी से झूठ की पटती नहीं