मुक्तक
गर किसी से नज़र लड़ाओगे
एक पल को न चैन पाओगे
राते काटोगे तारे गिनकर तुम
और बिस्तर पे छटपटाओगे
प्रीतम राठौर भिनगाई
गर किसी से नज़र लड़ाओगे
एक पल को न चैन पाओगे
राते काटोगे तारे गिनकर तुम
और बिस्तर पे छटपटाओगे
प्रीतम राठौर भिनगाई