मुक्तक
कर प्रेम राधिका सा,मोहन हमे बनाना ।
हो वायदा कभी गर,फिर वायदा निभाना ।
घर से हो दूर कितने,पर दिल से ना समझना ।
तुम दूरिया बना के,हमसे न दूर जाना ।
नवीन श्रोत्रिय”उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
कर प्रेम राधिका सा,मोहन हमे बनाना ।
हो वायदा कभी गर,फिर वायदा निभाना ।
घर से हो दूर कितने,पर दिल से ना समझना ।
तुम दूरिया बना के,हमसे न दूर जाना ।
नवीन श्रोत्रिय”उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना