मुक्तक
हर एक शब्द को छूने के बाद ही हम
उस अर्थ को पाने का भरते हैं जो दम
तुम चाहें तुकबंदी कहकर किनारा करो
कौन जानता है तुम्हारे शब्द में है ब्रह्म
– पंकज त्रिवेदी
हर एक शब्द को छूने के बाद ही हम
उस अर्थ को पाने का भरते हैं जो दम
तुम चाहें तुकबंदी कहकर किनारा करो
कौन जानता है तुम्हारे शब्द में है ब्रह्म
– पंकज त्रिवेदी