मुक्तक
दिल के गम जब आसुओं में निकलते हैं
ये अश्क़ भी तब मोतियों में बदलते हैं
इन आसुओं को कभी जाया न कीजिए
ये हमारे अरमानों के साथ साथ पलते हैं
दिल के गम जब आसुओं में निकलते हैं
ये अश्क़ भी तब मोतियों में बदलते हैं
इन आसुओं को कभी जाया न कीजिए
ये हमारे अरमानों के साथ साथ पलते हैं