मुक्तक
जब इस बार हारेंगे तो जाने फिर कहाँ होंगे,
ज़मीं की गोद में होंगे या फिर आसमाँ होंगे,
छुपाओ लाख सच्चाई मगर अब छिप नही सकती,
उठेंगी जब कलम मेरी हकीकत सब बयाँ होंगे
जब इस बार हारेंगे तो जाने फिर कहाँ होंगे,
ज़मीं की गोद में होंगे या फिर आसमाँ होंगे,
छुपाओ लाख सच्चाई मगर अब छिप नही सकती,
उठेंगी जब कलम मेरी हकीकत सब बयाँ होंगे