मुक्तक
जबसे जिन्दगी में आप मिल गये हैं!
रास्ते मंजिल के फिर से खिल गये हैं!
जागे हुए हैं पल ख्वाबों के इसतरह,
जख्म भी जिगर के जैसे सिल गये हैं!
#महादेव_की_कविताऐं'(21)
जबसे जिन्दगी में आप मिल गये हैं!
रास्ते मंजिल के फिर से खिल गये हैं!
जागे हुए हैं पल ख्वाबों के इसतरह,
जख्म भी जिगर के जैसे सिल गये हैं!
#महादेव_की_कविताऐं'(21)