मुक्तक
“काम से अपने सभी को प्यार होना चाहिये
चाहतों का भी कभी इज़हार होना चाहिये
यूँ बढा कर हाथ कोई फूल को तोड़े नहीं
जो सुरक्षा कर सके वो खार होना चाहिये “
“काम से अपने सभी को प्यार होना चाहिये
चाहतों का भी कभी इज़हार होना चाहिये
यूँ बढा कर हाथ कोई फूल को तोड़े नहीं
जो सुरक्षा कर सके वो खार होना चाहिये “