मुक्तक
” भारत को आहत करके आग लगा कर चले गये,
मेरे घर में घुसकर वो दहशत फैला कर चले गये,
हम उलझे रह गये अपनी ही आँगन की दीवारों में,
वो बारूदी अंगारों से हर खुशी जलाकर चले गये ”
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” भारत को आहत करके आग लगा कर चले गये,
मेरे घर में घुसकर वो दहशत फैला कर चले गये,
हम उलझे रह गये अपनी ही आँगन की दीवारों में,
वो बारूदी अंगारों से हर खुशी जलाकर चले गये ”
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