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21 Feb 2020 · 1 min read

मुक्तक

1.
सब्र की बात न कर … हंस दूंगी मैं
रिस्ते हुए जख्मों पे नमक मल लूंगी मैं
~ सिद्धार्थ
2.
लिखदो मेरे हांथो पे, वतन के लिए मैं खतरा हूं
मज़ा तो इस में है
खाके वतन उठ के कहे मैं इंकलाबी कतरा हूं
लम~ सिद्धार्थ
3.
लड़ लूं क्या… मैं उस से जो मुझ में ही कस्तूरी सा रहता है
बड़ी बेचैन हूं, दिल मेरा किसी से लडने को मुझको कहता है
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 215 Views
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