*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
आशा का दीप
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
जिसका हक है उसका हक़दार कहां मिलता है,
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
#रचनाकार:- राधेश्याम खटीक
ग़ज़ल _ गुज़र गया वो ख्वाब था , निखर गया वो हाल था ,
आपके द्वारा हुई पिछली गलतियों को वर्तमान में ना दोहराना ही,
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
कोई भी जीत आपको तभी प्राप्त होती है जब आपके मस्तिष्क शरीर और
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द