मुक्तक !
दुख इसका नही कि वो शांति की बात नही करते हैं
हम परेशां हैं कि वो इंसानियत भुलाने की बात करते हैं।
हथियारों के व्यपारी हैं जो, शांति दूत बना कर उसे लाए हैं
अपनों के सीने में लोहा उतारने की हिमायत वो करते हैं।
हथियारों के सौदागर अब युद्ध के सै-सै फ़ायदे गिनवाते हैं
जो युद्ध न हुआ तो हथियार बैठ कर क्या वो खायेंगे।
01-03-2019
।।सिद्धार्थ।।