मुक्तक
पलकें भीगी हैं कोई आया हुआ लगता है
दिल उनकी मोहब्बत का सताया हुआ लगता है
उनकी आवाज़ के यूँ दीवाने हैं कान के पर्दे
हर साज उन्हीं का गुनगुनाया हुआ लगता है।
संजय नारायण
पलकें भीगी हैं कोई आया हुआ लगता है
दिल उनकी मोहब्बत का सताया हुआ लगता है
उनकी आवाज़ के यूँ दीवाने हैं कान के पर्दे
हर साज उन्हीं का गुनगुनाया हुआ लगता है।
संजय नारायण