मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
पीयें ठर्रा-रम बम भोले
हम सबसे उत्तम बम भोले |
जनता से नाता तोड़ लिखें
सत्ता के कॉलम बम भोले |
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हम पै कट्टे-बम बम भोले
हम यम के भी यम बम भोले |
बस्ती को क्रन्दन देने को
हम आतुर हरदम बम भोले |
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हमसे पेचो-खम बम भोले
आँधी के मौसम बम भोले |
अपना ही नाम ‘ कुशासन ’ है
हमसे ज़िन्दा ग़म बम भोले |
+रमेशराज