मुक्तक – वक़्त
वक़्त जब भी हाथ से फिसल जाता है
अनगिनत घावों का समंदर दे जाता है
जब भी वक़्त को काबू में रखा जाता है
सफलताओं का कारवाँ रोशन हो जाता है
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
वक़्त जब भी हाथ से फिसल जाता है
अनगिनत घावों का समंदर दे जाता है
जब भी वक़्त को काबू में रखा जाता है
सफलताओं का कारवाँ रोशन हो जाता है
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम