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10 Apr 2021 · 1 min read

मुक्तक – तेरे ही लिए रूप —– आ जाना

मुक्तक (१)
तेरे ही लिए रुप यह मैंने तो है पाया।
कुदरत ने भी मुझको तो तेरे लिए बनाया।
ढूंढती हूं बावरी होके तुझको मै दिन रात ही पिया।
यौवन ने तो दे दी है दस्तक , बस तू नहीं आया।।
(२)

दिन तो है गुजर जाए मगर रात सताए।
कटती नहीं ये बैरन बता कैसे बिताएं
आ जाना छोड़ के तू सारे अपने ही तो काम।
विरह में तेरी कही जान मेरी चली ना जाए।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 231 Views
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