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28 Jan 2024 · 1 min read

मुक्तक… छंद मनमोहन

१-
शीश झुकाकर करूँ नमन।
करो प्रभो सब पाप शमन।।
द्वेष-दंभ सब करें गमन।
रहे देश में सदा अमन।।

२-
सर-सर सर-सर चले पवन।
नर्तन करते धरा – गगन।।
मन विरहन के लगी अगन।
दुनिया खुद में रहे मगन।।

३-
कैसे उनको लगी भनक।
रखे यहाँ पर कनक-कनक।।
थी नयनों में नयी चमक।
खेल-खेल में गढ़ा यमक।।

४-
उठी हृदय में कौन सटक ?
करता क्यों ये उठा-पटक ?
पहले ही मन गया खटक ।
दर्पण भी लो गया चटक।।

५-
कितना ऊँचा उठा गगन।
फिर भी नीचे किए नयन।।
कर्म निरत नित रहे मगन।
हममें भी हो वही लगन।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Language: Hindi
2 Likes · 236 Views
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