“मुक्तक”- ( गर उस गली से…. )
“मुक्तक”- ( गर उस गली से…. )
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गर उस गली से कभी मैं गुजर जाता !
तो उनके लिए कुछ-ना-कुछ कर जाता !
पर उनका तो ठौर-ठिकाना पता न था !
किसी मोड़ पर रुककर मैं किधर जाता !
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 29-07-2021.
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