मुक्तक– काश्मीर
धरा से आतंकियो को मिटा दो।
अहिंसा की ज्योति को जगा दो।
तीर्थयात्री जयकारा लगाते चलें,
त्रिलोकनगरी फूलों से खिला दो।
सज्जो चतुर्वेदी******काश्मीर
धरा से आतंकियो को मिटा दो।
अहिंसा की ज्योति को जगा दो।
तीर्थयात्री जयकारा लगाते चलें,
त्रिलोकनगरी फूलों से खिला दो।
सज्जो चतुर्वेदी******काश्मीर