“मुक्तक”- ( अल्हड़ बचपन )
“मुक्तक”- ( अल्हड़ बचपन )
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अल्हड़ बचपन था मेरा, क्या बताऊॅं हाल।
ना कोई ढंग था और ना ही कोई चाल ।
यूॅं ही दोस्तों संग मस्ती करता फिरता था ,
अगर वो लौट आता तो हो जाता कमाल ।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 17-06-2021.
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