*मुक्तक*हद से गहरा प्यार
कितना अपनापन रहा होगा बरसती बारिश की बूंदों में !
जो धरती की प्यास बुझाने आसमां से ज़मीं तक आ गई !!
वरना कौन आता है आसमां पाने के बाद तपती ज़मीं पर !
हद से गहरा प्यार रहा होगा जो लौट के ज़मीं पर आ गई !!
इन्तेहाँ तो देखो रिमझिम बरसती बूंदों के अनकहे प्यार की !
अस्तित्व ख़ुद का मिटाकर तपती ज़मीं की प्यास बुझा गई !!