“मुक्तक”(ढेला)
“मुक्तक”(ढेला)
⭐⭐⭐⭐
आम पेड़ पर, नहीं ढेला मारिये।
दूर से ही, सब आम को ताड़िये।
ढेला अगर लगा, किसी “सर”को,
तो फिर जेल में जिंदगी गुजारिये।
……..✍️पंकज “कर्ण”?
“मुक्तक”(ढेला)
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आम पेड़ पर, नहीं ढेला मारिये।
दूर से ही, सब आम को ताड़िये।
ढेला अगर लगा, किसी “सर”को,
तो फिर जेल में जिंदगी गुजारिये।
……..✍️पंकज “कर्ण”?