“मुक्कमल जिंदगी”
कहीं धूप है, कहीं छाँव है,
मुक्कमल जिंदगी होने में बड़ा दाँव है।
साख,टहनी और पत्तियाँ,
सभी आस में जड़ ना सूखे।
सीरत की किसको पड़ी है,
सब आस में है सूरत की चमक ना रूखे।
नब्ज को टटोला हमने जब शाम आयी तो,
रूह को बेच दिया हमने जब शोहबत दाम आयी तो।
फूल टिकते नहीं सालों-साल साख पर,
खाब सजते नहीं कभी बुझते राख पर।
आइना सिर्फ सूरत दिखाता है,
कभी सीरत भी तो दिखाये।
हुस्न कातिल जालसाज है,
कोई उसकी जलती कीमत तो बताये।
मौसम के एक पखवाड़े में,
कोयल की सुरीली आवाज है।
बाँकी सारी जिंदगी तो
कौए की तरह कांव-कांव है।
कहीं धूप है, कहीं छाँव है,
मुक्कमल जिन्दगी होने में बड़ा दांव है,
मुक्कमल जिन्दगी होने में बड़ा दांव है!!!
✍️”हेमंत पराशर”