मुक्कमल असर
मुक्तक
मुहब्बत का दिल पर मुक़म्मल असर है।
कि वश में नहीं अब हमारा ज़िगर है।
रहूँ रातदिन अब ख़यालो में डूबा
तुम्हारी नज़र का असर कारग़र है।
अदम्य
मुक्तक
मुहब्बत का दिल पर मुक़म्मल असर है।
कि वश में नहीं अब हमारा ज़िगर है।
रहूँ रातदिन अब ख़यालो में डूबा
तुम्हारी नज़र का असर कारग़र है।
अदम्य