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20 Oct 2021 · 1 min read

मुकरियाँमेरे द्वारा

बिन इसके जीना क्या जीना!
घुट-घुट केवल आँसू पीना।
ताना सुनना,सब दिन वादी।
कि सखि साजन? न सखी आजादी।

हर पल उसकी बाट जोहती।
मन,मन उसको खूब मोहती।
जिसने है सारी गीत भुला दी।
वो सखि साजन? ना सखि आजादी।

बिन बंधन के जैसे बछड़े
उझल-उझल कर उधम मचाए।
आए, नाचेगी पूरी आबादी।
के सखि साजन? नहीं सखि आजादी।

वन-उपवन सब ही महकेगा।
चिड़ियाँ,चुड़ियाँ,खग चहकेगा।
लेकर वह आयेगा ही मुनादी।
के सखि साजन? नहीं सखि आजादी।

ना चाहूँ फिर भी चली आवै।
अनचाहल कई कथा सुनावै
रखना पड़ता हमको मेल।
के सखि साजन? नहीं रे ई-मेल।

दुनिया भरका सामान ले आता।
खुश करने को मुझको दिखाता।
देखके भरता लालच से मन।
के सखि साजन? नहीं रे विज्ञापन।

वह मेरा सौभाग्य है सखियां।
आए जुड़ा जाए मेरी अँखियाँ।
करूँ अभिनंदन करूँ सम्मान।
क्या सखि साजन? नहीं,भगवान।

27/6/21
क्या कहूँ मरदे,बड़ी तड़पाता।
सारे देह में अग्नि लगाता।
उसके आने की हर बतिया।
कौन सखि,साजन? नहीं रे रतिया।

आ गयी सखियाँ सारी रनियाँ।
उलझ रह गया एक मोर सैयां।
एक न आया मनमोहना विवादी।
के सखी सजना? नहीं रे आजादी।

घूँघट खोलके खेलते होली।
बहुत लगाते रे,रँग,रंगोली।
आया न बदजात वो अंखसोहना।
के सखी आजादी?नहीं रे मनमोहना।

Language: Hindi
186 Views
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