कुछ देर ठहरो.. .
कुछ देर और ठहरो
अभी बातें बहुत बाकी हैं!
हवा के इस रुख से परेशान मत हो
जाना है, दूर तलक अभी!
कुछ पल ठहर कर, फिर से सोचो
तुम्हारी मेहनत ही तुम्हारा मुकद्दर लिखेगी!
इन हाथों की लकीरों पर
ऐसे वकालत करना अच्छा नहीं!
फेकोगे आसमान पर पत्थर
लौटकर जमीन पर ही आना है!
करोगे जब अथक परिश्रम
मुकद्दर में सारी कामनाओं का
लिख जाना है!
मत बैठना मुकद्दर के सहारे कभी
इन लकीरों को बदलते देर नहीं लगती!
करना हर रोज वकालत
एक नये सिरे से
अपनी मेहनत अपने अथक परिश्रम की!
कुछ देर और सोचो
अभी सारे कार्य बाकी हैं!
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)