— मुंह पर टीका करना —
बड़े ही सच्चे सीधे शब्दों में लिखा दिआ, कि घर पर जब कोइ मेहमान आ जाए तो उस वक्त चेहरा ही ऐसा होता है, जो सब कुछ बयान कर देता है , यानि उस को सीधे शब्दों में एहि कह सकते है, मुंह देखे टीके करने ( यानि माथे पर तिलक करना) !!
इंसान बड़ा ही दोगला है, इस में कोई शक नहीं, किसी का दिख जाता है, किसी का छुप जाता है, पर मन की भावना चेहरे पर चमकते देर नहीं लगती है ! कि मन में क्या छुपा हुआ है, जिस को ढक कर आपका स्वागत किया जा रहा है ! मजा इस बात में है, कि जो दिल में हो वो सामने ला दो तो जीवन सरल बन जाए ! पर ऐसा करना सब के बस में नहीं है, जो कर देते है, वो जमाने में अलग थलग पाए जाते है, उनको तुच्छ नजरों से देखा जाता है, दुसरे के कानों में आपके प्रति विष घोल दिया जाता है, ताकि आगे आगे वो भी आपके प्रति वैसे ही रवैया अपनाये !
जीवन में सच्चा, सरल इंसान मिलना बड़ा मुश्किल हो गया है, ऐसा इंसान कड़वा तो होता है, पर उस के मन में किसी तरह का द्वेष नहीं होता, उस के अंदर कोई चिंता नहीं होती, उस ने जो कहना है साफ़ साफ़ कहना है, और साफ़ कहने वाले को पसंद ही कौन करता है ? इसीलिए अक्सर देखा जाता है, कि वो शादी, सगाई, मौत , तेहरवीं में भी सब से अलग मिलता है, और मुंह देखे टीके करने वाले कभी कभार उस के मन की भांपने के लिए उस के इर्द गिर्द आ जाते है, पर अपने मन की ढक कर अलग चले जाते हैं !
सच तो यही है, कि अब दुनिआ में अगर जीना है, तो दोहरा माप दंड अपनाना होगा, तभी समाज भी आपको अपने पास बैठाने के लिए व्याकुल होगा, परन्तु जिसने दोहरा मापदंड कभी अपनाया ही नहीं होगा, वो कैसे करे, यह बात तो उस को हजम कभी नहीं होगी !
मेरे ख्याल से दुनिआ बेशक अपना रवैया न छोड़े, सच्चे, साफ़ दिल इंसान को भी अपनी आदत को नहीं बदलना चाहिए, बस इतना ही तो होगा, कि उस की मौत पर वो भीड़ नहीं होगी, जो अक्सर दोमुंह वालों के पीछे चलती है, लोग कहते हैं, कि जो ज्यादा लोग अर्थी के साथ चलते है, तो उस के कर्म होते है, सामाजिक रूतबा होता है, तभी इतने लोग पीछे चलते है, पर नहीं, अर्थी के पीछे जो सच्चे भाव से चलता है, जिस की लगन भगवान् से लगी हुई होती है, जिस ने बुराई का साथ न देकर लोगों की सेवा की होगी, जिस ने दूसरों के दुःख दर्द को समझा होगा, उनका साथी बना होगा, उस की अर्थी के पीछे वो उस के कर्म साथ चलते है , बाकी तो सब बातें हैं !
अंत में इतना ही कहूंगा, बेशक आप जो भी करना चाहते है, दिल से , दिमाग से, जुबान से एक जैसे रहिये, मुंह देखकर ( चेहरा ) देखकर माथे पर तिलक न करो, दिल से प्यार से इज्जत की भावना रखो, जबकि हर इंसान जानता है, कि जीवन का अंत – सिर्फ़ मौत है, इस से जय कुछ नहीं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ