मुँह में राम बगल में छुरी।
कुछ लोगों की आदत बुरी
दिन प्रतिदिन करते-फिरते
सब की प्रशंसा भूरी भूरी
पर पीट पीछे करते हैं वह
षड्यंत्र योजना पूरी पूरी।
बच के रहना इनसे विष्णु
इनकी की बातों में न आना है
रसीली वाणी सुनकर इनसे
धोखा कभी ना खाना है।
बातों में यह शहद घोलकर
तुझे चाहे जितना पिला ले
एक कान से पी कर उसको
दूसरे काम से निकल ले।
इनके कुचक्र को समझना
हो गया है बहुत जरूरी।
होती उनकी फितरत यही है
मुँह में राम बगल में छुरी।
-विष्णु ‘पाँचोटिया