मुँह पे मुखोटा
हमने पहनी वर्दी,ले भारत माँ का नाम
सुंदर छवि आँखों में शोभित अभिराम
उस गुलशन का उगता सूरज हूँ मैँ तो
कहलाती वीरों की है जो पावन धाम
वीर योद्धा हम कोरोना के कहलायेंगे
घर मे रहों सुरक्षित देते है यही पैगाम
मुँह पे मुखोटा कुछ भी लगा लेना तूम
हाथ धोने की ठान लो सुबह औ शाम
धरती भी हरी चुनर पहन लगी नई नई
लोकडाउन के पालन ने धोये जब घाम
अपना के समाजिक दूरी को ले शपथ
छोड़ा मयखाना तो तोडें हाथों से जाम
काट कर नफ़रत के शज़र तुम सुन लो
माँ बाप के चरणों में है ठहरें चार धाम
एक वर्दी वाले के मन की बात