मीर गालिब औ’र ज़फर की शायरी।
गज़ल
2122…….2122……..212
मीर गालिब औ’र ज़फर की शायरी।
जब तलक दुनियाँ रहेगी शायरी।
सौ बरस मुश्किल से इंशा की उमर,
पर हजारों वर्ष रहती शायरी।
इश्क में झगड़े किए इंसान ने,
पर मुहब्बत ही है करती शायरी।
जन्म लेते मौत तय इंसान की,
पर हमेशा जिंदा रहती शायरी।
जो कभी केवल मुहब्बत से रही,
बात सबके हक की करती शायरी,
आजकल की शायरी सबके लिए,
पर कभी दरबार की थी शायरी।
शायरी में जब से प्रेमी ढल गये,
जिंदगी लगती है अपनी शायरी।
……..✍️प्रेमी