मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
राहत की दिलेरी हूँ , फैज़ का हूँ निखार भी,
कैफी का सुकूं हूँ , बेकल का उदगार हूं मैं,
अल्फाज़ का हुनर चला ,खोये, नील हजार भी ।
✍️नील रूहानी ,,