मीरा को खुद से बेगानी कहो
** मीरा को खुद से बेगानी कहो **
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पागल सी हूँ प्यार में दीवानी कहो,
मस्ती छाई प्रेम में मस्तानी कहो।
कुछ पाया भी नही जीवन में कभी,
खोया जो अनुराग में कुर्बानी कहो।
कैसा भी मंजर दिखाया है काल ने,
पल – भर घबराई नहीं मर्दानी कहो।
कान्हां मिलता ही नहीं साजन रूप में,
मीरा को खुद से सदा बेगानी कहो।
मनसीरत तो हाथ जोड़े बैठा रहा,
गलती जो हमसे हुई नादानी कहो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)