मीत की प्रतीक्षा –
कुकुभ छंदगीत सृजन–
शृंगार रस–
मीत की प्रतीक्षा —
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मीत गुलाबी सुमन खिले हैं,अमिय प्रेम रस घुलता है।
छैल-छबीले ओ मन बसिया,पिया-पिया दिल करता है।
आ जाओ अब मोरे बालम, सूना पनघट खलता है।
छैल-छबीले ओ मन बसिया,पिया पिया दिल करता है।
अंग-अंग से राग छलकता, प्रियवर आओ रंग भरो।
अंग लगाकर रंग लगा दो, तृषित नैन की तृषा हरो।
छम छमा छम झूम के नाचूँ, मोर बना मन नचता है।
छैल-छबीले ओ मन बसिया,पिया-पिया दिल करता है।
चंद्र किरण सा मुखड़ा चमके, मंजुल लाली छाई है।
अद्भुत रति शृंगार सजाए, मखमल हरी बिछाई है।
तन-मन पर मदहोशी छाई, समां मिलन का ढलता है
छैल-छबीले ओ मन बसिया,पिया-पिया दिल करता है।
श्वासों के तारों पर नगमें, पिया नाम की गूँजें माला।
प्रणय नाद झंकृत हो उठता,कुछ न सूझे पंथ निराला।
शुभ्र ज्योत्सना पुलकित गाए, चाँद गगन में चलता है।
छैल-छबीले ओ मन बसिया,पिया-पिया दिल करता है।
मेरा जीवन धन्य देवता, तन-मन बना शिवाला है।
तन-मन प्राण हँसेंगे देखो, छाया नया उजाला है।
मिटी दूरियाँ सारी प्रीतम,जिया यही अब कहता है।
छैल छबीले ओ मन बसिया,पिया-पिया दिल करता है।
✍️ सीमा गर्ग मंजरी
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।