मीडिया जागो तुम
मीडिया जागो तुम
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मीडिया बेईमानी करे तो दर्द होता है क़सम से।
चौथा स्तंभ नहीं आज यूँ तो चमचा हुआ इस कर्म से।।
सच्चाई दिखाओ बिकना देश से ही गद्दारी होगी,
देश से गद्दारी खुद से गद्दारी माफ़ी नहीं धर्म से।।
गुमराह करके भोली जनता को कैसा पाप कर रहे हो।
उदेश्यों से भटका छवि अपनी यूँ खराब आप कर रहे हो।।
माली बाग़ उजाड़ेगा तो रखवाली फिर कौन करेगा?
सुनो तुम!फूलों के सिर पर क्यों काँटों का ताज़ धर रहे हो?
मीडिया तुम पर आज ज़िम्मेदारी देश की फ़र्ज़ निभाओ।
लालच छोड़ो यथार्थ जो है उसको ही खुलके तुम दिखाओ।।
मुद्दों की बातें करो ढोंगियों की तुम खोलो जमके पोल,
देश तुम्हारा जनता तुम्हारी खुद बचो इनको बचाओ।।
पैसा खास है बाप नहीं इसके लिए खोते इंसाफ़ नहीं।
सब पथ से भटकने लगे तो मंज़िलों का फिर ये ताज़ नहीं।।
आत्मा की आवाज़ सुनो करो ख़ुद्दारी की तुम हत्या नहीं,
सच का सूरज निकलेगा तो अँधेरों का फिर यहाँ राज नहीं।।
आर.एस.बी.प्रीतम
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