मीठे बोल
न हंस के बोलिए, न कस के बोलिए।
न बोलिए कटाक्ष, न बहस के बोलिए।।
है बात यदि जरूरी तो संवाद कीजिए।
न शब्द जाल बुनिए न विवाद कीजिए।।
है काम की यदि बात तो बस मान दीजिए।
छोटे हो या बड़े सभी का सम्मान किजिए।।
बातों का वजन देखो, बस कर्म से बनेगा।
बस बात बात करके, न काम अब चलेगा।।
है बात करना भी तो, एक कर्म की विधा है।
तो चुनिए शब्द अच्छे यह आपको सुविधा है।।
वाणी में अपने रखिए, श्रृंगार रस को ऊपर।
तो प्रेम मिले ‘संजय’, हो राज सबके दिलपर।।
जय श्री राम