मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
आलेख :- एक पंक्ति जो मशहूर हो गयी :-
– राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
उर्दू शायरी में ऐसे बहुत से कमाल के शेर हैं जिनका केवल दूसरा मिसरा (line) इतना मशहूर हुआ, कि लोग पहले मिसरे (line) को तो भूल ही गये।
ऐसे ही कुछ , चन्द उदाहरण यहाँ पेश हैं:
1- “ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है??
वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।”
शायर – मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
2- “भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया,
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।”
शायर – माधव राम जौहर
3- “चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले,
आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।”
शायर – मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
4- “दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग़ से,
इस घर को आग लग गई, घर के चराग़ से।”
शायर – महताब राय ताबां
5- “ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम,
रस्म-ए-दुनिया भी है,मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।”
शायर*- क़मर बदायूंनी*
6- “क़ैस जंगल में अकेला ही मुझे जाने दो,
ख़ूब गुज़रेगी, जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।”
शायर*- मियाँ दाद ख़ां सय्याह*
‘7- मीर’ अमदन भी कोई मरता है?
जान है तो जहान है प्यारे।”
शायर – मीर तक़ी मीर
8-“शब को मय ख़ूब पी, सुबह को तौबा कर ली,
रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई।”
शायर – जलील मानिकपुरी
9-“शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,
कोई पत्थर से न मारे मेंरे दीवाने को।”
शायर – शैख़ तुराब अली क़लंदर काकोरवी
10- जब से आया है मौसम चुनाव का।
कुत्ते मेरी गली के शेर हो गये।।
B शायर- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
11- “ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।”
शायर – मुज़फ़्फ़र रज़्मी
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*पेशकश :- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक – ‘आकांक्षा’ पत्रिका
टीकमगढ़ (मप्र)*
मोबाइल-9893520965