मिल पार करेंगे
मिल पार करेंगे ..
मैं जोगन इस तट खड़ी
तुम बहती तरणी सवार
जाने कब उर झंकृत हुए
प्रीत लय वीणा के तार
मन की नौका बाँध ली
विश्वास की चट्टानों से
सौंप दी जीवन पतवार
अब क्या डर तूफ़ानों से
काग़ज़ की नाव सी घुलती
अनंत प्रेम सागर समा जाऊँ
हिय लहरों का उन्माद मिला
विषाद विसर्जन कर आऊँ
जब हो बहाव प्रचंड प्रतिकूल
उत्तेजित ग्रास करने प्रणय तरी
प्रिय तुम बाँध देना उत्ताल तरंगें
मिल पार करेंगे जलधि गहरी
रेखा