मिल गया होता
न मैं यूँ तन्हा हरदफ़ा होता,
गर न यूं हमसे बेवफ़ा होता।
न मैं यूँ……………….
कश्ती प्यार की साहिल को पा ही लेती,
गर वक्त पर साथ तेरा मुझे मिल गया होता।
न मैं यूँ……….
जिंदगी कब बिन सहारे के चलती है,
हरकदम तेरा मुझे आसरा मिल गया होता।
न मैं यूँ …………….
मुक़म्मल कुछ भी होता नसीब से,
फ़िर न कभी शिक़वा न गिला होता।
न मैं यूँ………..
गैर कल तक थे हम तुम्हारे लिए,
काश हमें तुमने कभी अपना कहा होता।
न मैं यूँ……………..
(स्वरचित)
®अनिल कुमार “निश्छल”
हमीरपुर (उ०प्र०)