Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2024 · 1 min read

मिल गई मंजिल मुझे जो आप मुझको मिल गए

मिल गई मंजिल मुझे जो आप मुझको मिल गए
***************************************
मिल गई मंजिल मुझे जो आप मुझको मिल गए,
फूल फिर उजड़े चमन में आन जैसे खिल गए।

रहगुजर में हाथ दे कर हाथ में चलते रहे,
रोकते थे जो डगर से वो वहीं से हिल गए।

कर दफन अरमान दिल के खुद वहीं पर मार कर,
मामले जो शेष थे कर के यत्न सब किल गए।

दे ज़ख्म दिलदार तन – मन,आप सूली पर चढ़ी,
बन गये नासूर सारे वो जख्म भी थे छिल गए।

यार मनसीरत ज़माना भी न जीने दे रहा,
बात छोटी या बड़ी हो छड़ बना कर तिल गए।
*************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
Radha Bablu mishra
Life is Beautiful?
Life is Beautiful?
Otteri Selvakumar
मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं सत्य सनातन का साक्षी
Mohan Pandey
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
कवि रमेशराज
आँखें अश्क छिपाने की मुमकिन कोशिश करती है,
आँखें अश्क छिपाने की मुमकिन कोशिश करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#दोहा- (प्रणय प्रभात)
#दोहा- (प्रणय प्रभात)
*प्रणय प्रभात*
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
sushil sarna
मन मयूर
मन मयूर
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मैं भी साथ चला करता था
मैं भी साथ चला करता था
VINOD CHAUHAN
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
स्याही की
स्याही की
Atul "Krishn"
महफिले सजाए हुए है
महफिले सजाए हुए है
Harminder Kaur
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना
Keshav kishor Kumar
गारंटी सिर्फ़ प्राकृतिक और संवैधानिक
गारंटी सिर्फ़ प्राकृतिक और संवैधानिक
Mahender Singh
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
Shweta Soni
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
సమాచార వికాస సమితి
సమాచార వికాస సమితి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बिल्कुल नहीं हूँ मैं
बिल्कुल नहीं हूँ मैं
Aadarsh Dubey
हैं राम आये अवध  में  पावन  हुआ  यह  देश  है
हैं राम आये अवध में पावन हुआ यह देश है
Anil Mishra Prahari
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
National Energy Conservation Day
National Energy Conservation Day
Tushar Jagawat
ग़ज़ल _ अब दिल गूंजते हैं ।
ग़ज़ल _ अब दिल गूंजते हैं ।
Neelofar Khan
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
जीवन में
जीवन में
ओंकार मिश्र
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Childhood is rich and adulthood is poor.
Childhood is rich and adulthood is poor.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जब होंगे हम जुदा तो
जब होंगे हम जुदा तो
gurudeenverma198
तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
The_dk_poetry
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
Loading...