मिलो जो फिर से
अबके जो मिलो तो खुद में छुपा लेना मुझको,
रुठूं जो डांटना, डांट कर फिर मना लेना मुझको।
रखते हो छुपाकर सीने में समंदर प्यार का,
जमाने को नहीं बस दिखाना सिर्फ मुझको।
मेरी हर खुशी हो तुम, मेरी जिंदगी हो तुम,
बस, इतना ही समझना और समझाना मुझको।
अच्छी नहीं लगती नुमाइश जज़्बातों की,
समझता कहां है जमाना दिल के हालातों को।
मिठी बातों में भी ज़हर ढुंढ हीं लेते हैं लोग,
हकीकत से दूर कर देते हैं अक्सर सच्ची बातों को।