मिलें मुश्किल से जो पल
मिलें मुश्किल से जो पल वो सदा आबाद रहते हैं
सफर आसान हो तो रास्ते कब याद रहते हैं
कदर करते हैं जो जज्बात की,आँसू की,रिश्तों की
वो पिच पर जिन्दगी की अंत तक नाबाद रहते हैं
जो खा सकते हैं रोटी घास की सम्मान की खातिर
गुलामी की सलाखों से वही आजाद रहते हैं
बुझा न पायेंगी ये रूढ़ियाँ रोशन च़रागों को
हिरण्यकश्यप के घर में आज भी प्रह्लाद रहते हैं
करो मत भ्रूण की हत्या सरासर पाप है ‘संजय’
कदर पूछो जरा उनसे जो बेऔलाद रहते हैं